लेखनी प्रतियोगिता -08-Jul-2022 जरा याद करो कुर्बानी
लेखिका-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-जरा याद करो कुर्बानी
विधा-वीर गीत
ए भारत के लोगों
जरा याद करो उनकी कुर्बानी
जो थे देश के महारथी
भारत के है वो सिपाही
कारगिल के युद्ध में, अपनी जान गवाई
दे रहे हैं उनको सलामी
व्यर्थ नहीं जाएगा तेरा बलिदान
भारतीय कर रहा तुझे याद
तेरी याद में बने हैं स्मारक
भारत का झंडा वहां लहराया
दी रही है तुझको अपना फरमान
जरा याद करो कुर्बानी
जो थे देश के महारथी
60 दिन तक लड़ते रहे
सूरज की शोलो को सहते रहे
बर्फीले तूफानों के थपेड़े खाते रहे
फिर भी बनाई अपनी डगर
बिना रुके थके चलते रहे कदम
सीने पर गोली खाते रहे
घायल हुआ था तू
तेरे पीछे नहीं मुड़े
सीना तान के रहे डटे
कितने हुए थे घायल
कितनों ने जान गवाई
देश को तुमने आजादी दिलाई
जरा याद करो उनकी कुर्बानी
जो थे देश के महारथी
बारूद लगा था जख्म पर
तूने समझ रहा उसको मरहम
आगे बढ़ाएं तूने कदम
अनदेखा किया तूने हर जख्म
कटे गए थे तुम्हारे अंग
फिर भी ना डगमगाए कदम
आखिरी सांस तक लड़ते रहे
जो लौट कर ना आए घर
हुए देश के लिए शहीद
जरा याद करो उन शूरवीरो को
जो थे देश के महारथी
खाई थी तुमने कसम
महफूज रखोगे वतन
माथे पर पहना था कफन
अपने वतन के लिए हुए शहीद
पूरी कि तुमने अपनी कसम
भारत मां के बने तुम रक्षक
लहराया वहां विजय पताका
करते हैं तुमको नमन
आज छाई है तेरी चमक
जरा याद करो उनकी कुर्बानी
जो थे देश के महारथी
भारत के है वो सिपाई
कारगिल के युद्ध में अपनी जान गवाई
दे रहे हैं ....उनको सलामी...
Punam verma
09-Jul-2022 03:07 PM
Nice
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Ilyana
09-Jul-2022 06:47 AM
Bahut sundar rachna
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Swati chourasia
09-Jul-2022 05:48 AM
बहुत सुंदर रचना 👌
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